Wednesday, July 03, 2013

Safar ka sifar

आज  मै मेरे हेड फोन्स घर भूल आया
तो पता चला की कितनी दूर सफ़र करता हूँ

पुल पेड़ ढलानों में लोगों के बीच लोहे की भीड़ पार करता
कितनी दूर सफ़र करता हूँ

पूरे दिन की रोज़ी बटोरता, डरते डरते ताना  बुनता
कितनी दूर सफ़र करता हूँ

घर से अलग अपनों को छोड़
हर ऱोज सफ़र करता हूँ

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